Bhakti Songs

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      Hymn : Inner Silence Buddha 

    Lyrics : Inner Silence Buddha
    Lyrics : Sing Silence Dance Buddha

    Silence is the verse you need to sing,
    I am the breath in every living thing,
    I’m here, and I’m there, I am everywhere,
    When you're ready, come find me.                

    I am the call that echoes in your heart,
    In the silence, we are never apart,
    When you’re ready, just let go and see,
    Come to me, I’ll set your soul free.

    I am the light that shines through the dark,
    The stillness that moves, the eternal spark,
    Every moment you live and in every space,
    I promise my true love and my grace.
    I am the call that echoes in your heart,
    In the silence, we are never apart,
    When you’re ready, just let go and see,
    Come to me, I’ll set your soul free.

    I am the light that shines through the dark,
    The stillness that moves, the eternal spark,
    Every moment you live and in every space,
    I promise my true love and my grace.
    I am the light that shines through the dark,
    The stillness that moves, the eternal spark,
    Every moment you live and in every space,
    I promise my true love and my grace.
    Don’t search for me in the world outside,
    I’m within you, I’m your inner guide,
    Trust the journey, let your heart be still,
    When you’re ready, you will feel my will.

    I am the call that echoes in your heart,
    In the silence, we are never apart,
    When you’re ready, just let go and see,
    Come to me, I’ll set your soul free.

    Don’t search for me in the world outside,
    I’m within you, I’m your inner guide,
    Trust the journey, let your heart be still,
    When you’re ready, you will feel my will.

    I am the call that echoes in your heart,
    In the silence, we are never apart,
    When you’re ready, just let go and see,
    Together, we’ll dance, and you will be free.



      भजन : श्री नाथ जी 

    सर्वदा सर्वभावेन 
    भजनीयो ब्रजाधिपः।
    तस्मात्सर्वात्मना नित्यं 
    श्रीकृष्णः शरणं मम।

    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः

    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः

    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,  
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,  
    श्री नाथ जी..., 

    सर्वदा सर्वभावेन 
    भजनीयो ब्रजाधिपः।
    तस्मात्सर्वात्मना नित्यं 
    श्रीकृष्णः शरणं मम।

    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः

    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री कृष्ण: शरणं ममः

    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,  
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,  
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,  

    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,  
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी..., 
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी...,  
    श्री कृष्ण: शरणं ममः
    श्री नाथ जी..., श्री नाथ जी..., 



    भजन : आओ मिलें कान्हा से

    अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं । आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; ..कृ.. में कर्म छुपा, ..ष.. में छुपी शरण, ..ण.. में छुपा समर्पण, जपो राधा-कृष्ण, ..रा.. में राग छुपा, ..धा.. में छुपा धैर्य, संपूर्ण सर्व गुण, जपो राम कृष्ण; अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं । आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; राम से आत्मा, कृष्ण विश्वात्मा, श्री हरि के ये नयन, मिटे तम आवरण, कटता कर्म बंधन, छूटे जन्म-मरण, खिले सहस्रार कमल, निर्भय हो तू मन; अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं । आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; ..कृ.. में कर्म छुपा, ..ष.. में छुपी शरण, ..ण.. में छुपा समर्पण, जपो राधा-कृष्ण, ..रा.. में राग छुपा, ..धा.. में छुपा धैर्य, संपूर्ण सर्व गुण, जपो राम कृष्ण; अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं । हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं । आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; आओ मिलें कान्हा से, जग के मन मोहना से, मिलें राधा की प्रीत से, मीरा के प्रेम से; राम से आत्मा, कृष्ण विश्वात्मा, श्री हरि के ये नयन, मिटे तम आवरण, कटता कर्म बंधन, छूटे जन्म-मरण, खिले सहस्रार कमल, निर्भय हो तू मन; खिले सहस्रार कमल, संशय ना कर तू मन; खिले सहस्रार कमल, निष्ठा रख तू मन; खिले सहस्रार कमल, निर्लेप रह तू मन; खिले सहस्रार कमल, निर्मल बन तू मन; खिले सहस्रार कमल, संशय ना कर तू मन; खिले सहस्रार कमल, निष्ठा रख तू मन; खिले सहस्रार कमल, निर्लेप रह तू मन; खिले सहस्रार कमल, निर्मल बन तू मन;


      भजन : मैं योग हूँ 


    ॐ 
    पूर्णमदः पूर्णमिदं
    पूर्णात् पूर्ण मुदच्यते
    पूर्णस्य पूर्णमादाय.
    पूर्ण मेवाव शिष्यते

    मैं पुरुषार्थ हूँ, मैं प्रतिभा नहीं;
    मैं उन्मुक्त हूँ, मैं धर्मादीन नहीं;
    मैं मार्ग हूँ, मैं चक्र-व्यूह नहीं ।

    मैं सरला हूँ, मैं सरल अर्थ नहीं;
    मैं दिव्या हूँ, मैं मिथ्या नहीं;
    मैं योग माया हूँ, अहंकार नहीं ।

    मैं योगिता हूँ, मैं भोग्या नहीं;
    मैं दामिनी हूँ, मेरा दाम नहीं;
    मैं सविता हूँ, मैं सूर्य नहीं ।

    मैं हुंकार हूँ, मैं शब्द नहीं;
    मैं बीज हूँ, मैं विस्तार नहीं;
    मैं वेग हूँ, मैं परिमित नहीं ।

    मैं मौज हूँ, मैं मार्जन नहीं;
    मैं कारण हूँ, मैं काल नहीं;
    मैं परोक्ष हूँ, मैं उद्धघोष नहीं ।

    मैं परा हूँ, मैं पराजित नहीं;
    मैं संगनी हूँ, मैं सखी नहीं;
    मैं स्वामिनी हूँ, मैं स्वामी नहीं ।

    मैं मूर्क्षित हूँ, मैं मृत नहीं;
    मैं संकल्प हूँ, मैं सौगंध नहीं;
    मैं उल्लास हूँ, मैं परिहास नहीं ।

    मैं गुह्य हूँ, मैं विख्यात नहीं;
    मैं सु गंघ हूँ, मेरा सौजन्य नहीं;
    मैं क्रिया हूँ, मैं कीर्ति नहीं ।

    मैं महाप्राण हूँ, मैं प्राण नहीं;
    मैं चिरंजीव हूँ, मेरी आयु नहीं;
    मैं शास्वत हूँ, मेरा अंत नहीं ।

    मैं शुन्य हूँ, मैं योग हूँ;
    मैं शुन्य हूँ, मैं योग हूँ;
    मैं शुन्य हूँ, मैं योग हूँ;


    ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः



      भजन : इत्र कमल 

    मेरे गोविंद बैठे उस पार, वहाँ नीला, पीला और लाल । मेरे गोविंद का मोर पंख, थोड़ा नीला, पीला, थोड़ा लाल । मेरे गोविंद के नैन कटार, कभी नीले, पीले, कभी लाल । मेरे गोविंद के गालों पे गुलाल, कहीं नीला, पीला, कहीं लाल । मेरे गोविंद मुझे लगाए गुलाल, थोड़ा नीला, पीला, थोड़ा लाल । मेरे गोविंद के कंधों पे रुमाल, थोड़ा नीला, पीला, थोड़ा लाल । मेरे गोविंद जी उड़ाए गुलाल, कभी नीला, पीला, थोड़ा लाल । मेरे गोविंद के नाम हजार, जपे नीला, पीला और लाल । मेरे गोविंद जो आएं हैं आज नाचे नीला, पीला और लाल । मेरे गोविंद जी रचाए रास डोले नीला, पीला और लाल । मेरे गोविंद की मंद मुस्कान दिवानी नीला, पीला और लाल । मेरे गोविंद की बांसुरी के तान सुनें नीला, पीला और लाल । मेरे गोविंद का इत्र कमल महके नीला, पीला और लाल । मेरे गोविंद मिले इस पार जहाँ नीला, पीला और लाल ।




    भजन : जय जय माँ 


    इंतज़ार में तेरे बैठे हैं माँ, हम बच्चे भूखे प्यासे,
    नींद से पलकें बोझल हैं माँ, आंखों में हैं आँसू ।
    मइया....आंखों में हैं आँसू...
    मइया....आंखों में हैं आँसू...

    दर पे तेरे बैठा माँ, करता मनका-मनका गिनती,
    जल्दी से तू आजा मइया, सुन ले मेरी विनती ।
    जल्दी से तू आजा मइया, सुन ले मेरी विनती ।
    दुख भंजन सुख दाती मइया, माता शेरों वाली,
    भक्तों को ना भेजे खाली, महिमा अति निराली ।
    भक्तों को ना भेजे खाली, महिमा अति निराली ।

    दुःख मेरे किससे कहूँ माँ, किसी और को न जानूं,
    जल्दी से आजा मइया तू, तुझसे हाल दिल का कह दूँ ।
    मइया....हाल दिल का कह दूँ...
    मइया....हाल दिल का कह दूँ…

    त्रिकुटा पर्वत तेरा बसेरा, हर जगह बात फैली,
    नंगे पैरी दौड़ा आया, और हाथ है मेरे ख़ाली ।
    नंगे पैरी दौड़ा आया, और हाथ है मेरे ख़ाली ।
    पूजा पाठ मैं न जानूँ माँ, लाया हूँ केवल भक्ति,

    दे दो माँ दर्शन अब तुम,अब तो है मेरी बारी ।
    दे दो माँ दर्शन अब तुम,अब तो है मेरी बारी ।

    तेरे मंदिर बहुत हैं माँ , पर गुफा है यह निराली,
    बाहर ही बैठे हैं माँ, तेरे बच्चे बन के सवाली ।
    मइया....तेरे बच्चे बन के सवाली...
    मइया....तेरे बच्चे बन के सवाली…

    टूटा दिल हम लाए हैं माँ, तोड़ो अब तुम चुप्पी,
    बिलख बिलख के रोते हैं माँ, भर दो हमारी झोली ।
    बिलख बिलख के रोते हैं माँ, भर दो हमारी झोली ।
    तेरा नाम है जग में सहारा, हम मस्तों की टोली,

    गिरने ना देंना तू माँ, हमने पकड़ी हैं तेरी चुनरी ।
    गिरने ना देंना तू माँ, हमने पकड़ी हैं तेरी चुनरी ।

    दौड़ी आये संगत सारी, क्या राजा क्या भि-खारी,
    जात धर्म का भेद न माने, माँ तू सब की प्यारी ।
    मइया....तू सब को प्यारी...
    मइया....तू सब को प्यारी...

    जय जय माँ... शेराँ वाली माँ.. जय जय माँ.. लाटा वाली माँ..
    जय जय माँ..ज्योतां वाली माँ.. जय जय माँ.. महराँ वाली माँ..
    जय जय माँ... शेराँ वाली माँ.. जय जय माँ.. महराँ वाली माँ..
    जय जय माँ.. ममता वाली माँ.. जय जय माँ..बावे वाली माँ..



    भजन : उच्चियाँ पहाड़ाँ वाली माँ 


    उच्चियाँ पहाड़ाँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर,
    सच्चियाँ ज्योताँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर।

    उच्चियाँ पहाड़ाँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर,
    सच्चियाँ ज्योताँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर।
    उच्चियाँ पहाड़ाँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर,
    सच्चियाँ ज्योताँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर।

    माता दे कार खुशियाँ मिलदी, माता दे का्र मेहराँ
    माता दे कार खुशियाँ मिलदी, माता दे का्र मेहराँ

    रल मिल सारी संगत बोले, वैष्णो माई दा, जै-जै कारा।
    रल मिल सारी संगत बोले, मेरी माई दा, जै-जै कारा।

    तेरे दर पे आये हैं माँ, अब खाली हाथ न जाएँगे,
    जो तूने हमको भुला दिया माँ, तो हम कहाँ जाएँगे।
    जो तूने हमको भुला दिया माँ, तो हम कहाँ जाएँगे।
    आपकी पूजा की विधि कठिन है , हम कैसे इसे निबायेंगे,
    तू ही बस जा दिल में हमारे, हम ऊँचे पहाड़ न चढ़ पाएंगे।
    तू ही बस जा दिल में हमारे, हम ऊँचे पहाड़ न चढ़ पाएंगे।

    उच्चियाँ पहाड़ाँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर,
    सच्चियाँ ज्योताँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर।
    उच्चियाँ पहाड़ाँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर,
    सच्चियाँ ज्योताँ वाली माँ, सानु कैंन्दीं तूँ फिकराँ न कर।

    जो वी कोई फरियाद करदा होन्दियाँ मुराँदाँ पूरियाँ
    जो वी कोई फरियाद करदा होन्दियाँ मुराँदाँ पूरियाँ

    रल मिल सारी संगत बोले, वैष्णो माई दा, जै-जै कारा।
    रल मिल सारी संगत बोले, मेरी माई दा, जै-जै कारा।

    बिन माँगे आप देने वाली, अपने भक्तों को खुशियाँ सारी,
    आया हम पे समय भारी माँ, कर लो भक्तों की रखवाली।
    आया हम पे समय भारी माँ, कर लो भक्तों की रखवाली।
    हम तेरे चरणों में पड़े हुए हैं, सब मूर्ख, खल और कामी,
    फिर भी हमको गले लगा लो माँ, हर लो पीड़ा सारी।
    फिर भी हमको गले लगा लो माँ, हर लो पीड़ा सारी।

    रल मिल सारी संगत बोले, वैष्णो माई दा, जै-जै कारा।
    रल मिल सारी संगत बोले, मेरी माई दा, जै-जै कारा।
    रल मिल सारी संगत बोले, वैष्णो माई दा, जै-जै कारा।
    रल मिल सारी संगत बोले, मेरी माई दा, जै-जै कारा।



    Hymn : Shivom Kailash

    शिवोम, धर्म धारी, धर्म का राज,
    नमस्तस्ये नमो नमः।
    The name, the word, the sound of God.
    The name, the word, the sound of God.

    शिव ॐ, धर्म धारी, धर्म का राज,
    नमस्तस्ये नमो नमः।
    The name, the word, the sound of God.
    The name, the word, the sound of God.
    The life force, the light, the sacred sound,
    All fuse to one, the truth unbound.
    When God calls us, to the mount,
    It’s not about prayers, it’s in person.
    In Kailash, where time stands still,
    The eternal truth, the cosmic will.
    The place where, the soul belongs,
    Silence speaks, faith grows strong.
    The rivers call, the wind will guide,
    Blossoms the soul that resides inside.
    In Kailash, where time stands still,
    The eternal truth, the cosmic will.
    Where morning is magic, dawn is pure,
    Crystal light heals, new life rejoices.
    Mantra winds here, new meanings uncoil,
    A spirit reborn, under Holy skies.
    In Kailash, where time stands still,
    The eternal truth, the cosmic will.
    A call so pure, a reason so mature,
    Opening the nodes, forever more.
    Guiding the soul, to find its roots,
    In sacred silence, the heart's pursuit.
    A journey deep, beyond all bounds,
    Wisdom flows, and peace resounds.
    Welcome to the mountains.
    Welcome to the Transcendence.
    Welcome to the awakening.
    Welcome to the surprises.
    नमस्तस्ये नमो नमः।
    नमस्तस्ये नमो नमः।
    नमस्तस्ये नमो नमः।
    नमस्तस्ये नमो नमः।


    भजन : हे योगेश्वर, दो वरदान

    हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का, हम सम्मान । हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का, हम सम्मान । आसन ध्यान और प्राणायाम, बने जीवन के, यह आयाम । कर सकें हम, स्व से पहचान, हे योगेश्वर, दो वरदान । तन में हो बल, मन में शक्ति सत्य मार्ग हो, नहीं कोई युक्ति । कर सकें, विश्व का कल्याण, हे योगेश्वर, दो वरदान । सजल भावों का, हो संचार, करें आत्मा, आपका दीदार । आनन्द से, भर जाये प्राण हे योगेश्वर, दो वरदान । हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का हम सम्मान । हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का हम सम्मान ।


    भजन - श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

    "श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन, हरण भवभय दारुणं, नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं।" "कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरज सुन्दरं, पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि, नोमि जनक सुतावरं।" "भजु दीनबन्धु दिनेश दानव, दैत्य दलनं निकन्दनं, रघुनन्द आनन्दकन्द कोशल, चन्द दशरथ नन्दनं।" "शिर मुकुट कुंडल तिलक, चारु उदारु अङ्ग विभूषणं, आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम जित खरदूषणं।" "इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष मुनि मन रंजनं, मम् हृदय कुंज निवास कुरु, कामादि खलदल गंजनं।" "मन जाहि राच्यो मिलहि सो, वर सहज सुन्दर सांवरो, करुणा निधान सुजान शील, स्नेह जानत रावरो।" "एहि भांति गौरी असीस सुन सिय, सहित हिय हरषित चली, तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि, मुदित मन मन्दिर चली।" "जानी गौरी अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम, अङ्ग फरकन लगे।" "बोलो... श्री राम चंद्र की ! जय !" "पवन पुत्र, हनुमान की ! जय !" जय हो!"

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