Bhakti Songs

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Bhajan : Shivom Kailash

Bhajan Lyrics: शिवोम कैलाश। शिवोम, धर्म धारी, धर्म का राज, नमस्तस्ये नमो नमः। The name, the word, the sound of God. The name, the word, the sound of God. शिव ॐ, धर्म धारी, धर्म का राज, नमस्तस्ये नमो नमः। The name, the word, the sound of God. The name, the word, the sound of God. The life force, the light, the sacred sound, All fuse to one, the truth unbound. When God calls us, to the mount, It’s not about prayers, it’s in person. In Kaylash, where time stands still, The eternal truth, the cosmic will. The place where, the soul belongs, Silence speaks, faith grows strong. The rivers call, the wind will guide, Blossoms the soul that resides inside. In Kaylash, where time stands still, The eternal truth, the cosmic will. Where morning is magic, dawn is pure, Crystal light heals, new life rejoices. Mantra winds here, new meanings uncoil, A spirit reborn, under Holy skies. In Kaylash, where time stands still, The eternal truth, the cosmic will. A call so pure, a reason so mature, Opening the nodes, forever more. Guiding the soul, to find its roots, In sacred silence, the heart's pursuit. A journey deep, beyond all bounds, Wisdom flows, and peace resounds. Welcome to the mountains. Welcome to the Transcendence. Welcome to the awakening. Welcome to the surprises. नमस्तस्ये नमो नमः। नमस्तस्ये नमो नमः। नमस्तस्ये नमो नमः। नमस्तस्ये नमो नमः।

प्रार्थना भजन : हे योगेश्वर,दो वरदान

प्रार्थना भजन : हे योगेश्वर, दो वरदान हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का, हम सम्मान । हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का, हम सम्मान । आसन ध्यान और प्राणायाम, बने जीवन के, यह आयाम । कर सकें हम, स्व से पहचान, हे योगेश्वर, दो वरदान । तन में हो बल, मन में शक्ति सत्य मार्ग हो, नहीं कोई युक्ति । कर सकें, विश्व का कल्याण, हे योगेश्वर, दो वरदान । सजल भावों का, हो संचार, करें आत्मा, आपका दीदार । आनन्द से, भर जाये प्राण हे योगेश्वर, दो वरदान । हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का हम सम्मान । हे योगेश्वर, दो वरदान, करें योग का हम सम्मान ।

Bhajan : Shri Ram Chandra Kripalu Bhajman

प्रार्थना भजन - श्री राम चंद्र कृपालु भजमन
"श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन, हरण भवभय दारुणं, नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं।" "कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरज सुन्दरं, पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि, नोमि जनक सुतावरं।" "भजु दीनबन्धु दिनेश दानव, दैत्य दलनं निकन्दनं, रघुनन्द आनन्दकन्द कोशल, चन्द दशरथ नन्दनं।" "शिर मुकुट कुंडल तिलक, चारु उदारु अङ्ग विभूषणं, आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम जित खरदूषणं।" "इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष मुनि मन रंजनं, मम् हृदय कुंज निवास कुरु, कामादि खलदल गंजनं।" "मन जाहि राच्यो मिलहि सो, वर सहज सुन्दर सांवरो, करुणा निधान सुजान शील, स्नेह जानत रावरो।" "एहि भांति गौरी असीस सुन सिय, सहित हिय हरषित चली, तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि, मुदित मन मन्दिर चली।" "जानी गौरी अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम, अङ्ग फरकन लगे।" "बोलो... श्री राम चंद्र की ! जय !" "पवन पुत्र, हनुमान की ! जय !" जय हो!"


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