Rhymes in Hindi

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    बालगीत : हाथी राजा

    उस जंगल की है यह कहानी, जिस जंगल का, राजा, था हाथी, उस हाथी के थे, दो साथी एक थी गोरी, एक था काला, गोरी कहती "म्याऊ म्याऊ"। काला कहता "कांव कांव"। चलो बच्चों अब, जल्दी से नाम उनके बताओ! उस जंगल की है यह कहानी, जिस जंगल का, राजा, था हाथी, उस हाथी के थे, दो साथी एक थी गोरी, एक था काला, गोरी कहती "म्याऊ म्याऊ"। चलो बच्चों अब, जल्दी से नाम उनके बताओ!



    बालगीत : बारिश का मज़ा

    छत पर बैठी एक गिलहरी, हाथ में उसके कागज़ की छतरी। बारिश आई "झमा झम झम", फट गई छतरी, भीग गए हम! तालाब में मेंढक, हरे रंग का कूदा ऐसे — धप्प से ज़रा। बारिश में करता खूब सनान, “टर्र टर्र” की थी उसकी तान। पेड़ पे बैठी एक गौरैया, चूँ-चूँ करके रही बुला। इंद्र धनुष तू जल्दी आ, सब बच्चों को खूब हँसा।


    बालगीत : एक था बंदर

    एक था बंदर, नहीं थी टोली, खरीदी उसने नीली टोपी। टोपी पहन कर बोला सबको "मैं बन गया साहब अब तो!" "मुझे परोस दो तुम रसमलाई, नहीं तो ! सब की शामत आई!" एक था बंदर, नहीं थी टोली, खरीदी उसने नीली टोपी। टोपी पहन कर बोला सबको "मैं बन गया साहब अब तो!" "मुझे परोस दो तुम रसमलाई, नहीं तो ! सब की शामत आई!"

    बालगीत : नन्हा चीता

    नदी किनारे लगा था मेला! मेले में देखा नन्हा चीता! चुपचाप बैठा, देखे वो! सब को, लगता मानो बिलकुल अकेला। बच्चों ने जब उसे चिढ़ाया, भागे बच्चे! वो ज़ोर से गुर्राया! ......Ha ha ha ha..... नदी किनारे लगा था मेला! मेले में देखा नन्हा चीता! चुपचाप बैठा, देखे वो! सब को, लगता मानो बिलकुल अकेला। बच्चों ने जब उसे चिढ़ाया, भागे बच्चे! वो ज़ोर से गुर्राया!


     बालगीत : एक था बिल्ला 

    एक था बिल्ला! लंबे थे कान,
    रोज़ था खाता मलाई-बादाम।
    मोटा-ताज़ा हो कर बोला –
    "अब नहीं होता मुझसे काम!"
    मैंने प्यार से उसे बुलाया,
    वो!
    चलते-चलते गिरा धड़ाम!
    Ha Ha Ha Ha..
    एक था बिल्ला! लंबे थे कान,
    रोज़ था खाता मलाई-बादाम।
    मोटा-ताज़ा हो कर बोला –
    "अब नहीं होता मुझसे काम!"
    मैंने प्यार से उसे बुलाया,
    वो!
    चलते-चलते गिरा धड़ाम!

     बालगीत : आम के पेड़ का दिल 

    कौन कहता है कि कुदरत वफ़ा नहीं करती;
    कौन कहता है कि कुदरत वफ़ा नहीं करती;
    हैं ये सब दिलकश नज़ारे हमारे ही लिए ।

    कभी क़हर भी ढाती है, आक्रोशित होती है;
    कभी क़हर भी ढाती है, आक्रोशित होती है;
    जब इंसानों से ग़लतियाँ बेपरवाह होती है।

    सर चढ़ कर बोलती है technology हम पर;
    सर चढ़ कर बोलती है technology हम पर;
    पर कृत्रिम फूलों में ख़ुशबू कहाँ होती है?

    हमें बिछाने हैं बस बीज यहाँ वहाँ यूँ ही;
    हमें बिछाने हैं बस बीज यहाँ वहाँ यूँ ही;
    उग जाते हैं फलों के पेड़ भी जहाँ जगह मिले।

    चलो ख़ुदगर्ज़ हो के ही सही पेड़ लगाएँ;
    चलो ख़ुदगर्ज़ हो के ही सही पेड़ लगाएँ;
    आने वाली पीढ़ियों को साफ़ हवा तो मिले।

    आओ लगाएँ पेड़, ग्लोबल वॉर्मिंग से बचें;
    आओ लगाएँ पेड़, ग्लोबल वॉर्मिंग से बचें;
    लुप्त होते इन परिंदों को भी अपना घर मिले।

    कौन कहता है कि पेड़ सिर्फ़ फल देते हैं?
    कौन कहता है कि पेड़ सिर्फ़ फल देते हैं?
    'नूरम' हमें तो दिया है दिल आम के पेड़ ने।

     बालगीत : हैप्पी दिवाली 

    रोशनी है फैली, सुनहरी
    बात है यह, खुशियों की
    आज है दिन, दीपावली 
    मिलके झूमे मिल के घूमे
    आओ मनाये हैप्पी दिवाली
    दी दी दी हैप्पी दिवाली
    वा वा वा हैप्पी दिवाली
    ली ली ली हैप्पी दिवाली

     बालगीत : चुन्नू आया मुन्नी आई 

    चुन्नू आया मुन्नी आई
    गप-गप गप-गप
    मिठाई खाई ।

    मम्मी आई मम्मी आई
    बोली यह क्या भाई
    इतनी मिठाई ।

    पापा आये पापा आये
    बोले न न भाई
    सबकी मिठाई ।

    दादा आये दादी आई
    बोले और लो भाई
    ताजी मिठाई ।

    चाचा आये चाची आई
    सब ने मिल के
    मिठाई खाई ।

    मामा आये मामी आई
    दीप जलाये
    खुशियाँ मनाई ।

    मौसा आये मौसी आई
    बोले हमें भी भाई
    कैसी मिठाई ।

    चुन्नू बोला मुन्नी बोली
    हैप्पी वाली
    दिवाली आई ।

     बालगीत : दिवाली धूम-धाम 

    चुन्नू आया मुन्नी आई
    गप-गप गप-गप
    मिठाई खाई ।

    मम्मी आई मम्मी आई
    बोली यह क्या भाई
    इतनी मिठाई ।

    पापा आये पापा आये
    बोले न न भाई
    सबकी मिठाई ।

    दादा आये दादी आई
    बोले और लो भाई
    ताजी मिठाई ।

    चाचा आये चाची आई
    सब ने मिल के
    मिठाई खाई ।

    मामा आये मामी आई
    दीप जलाये
    खुशियाँ मनाई ।

    मौसा आये मौसी आई
    बोले हमें भी भाई
    कैसी मिठाई ।

    चुन्नू बोला मुन्नी बोली
    हैप्पी वाली
    दिवाली आई ।

     बालगीत : इधर - उधर 

    छाता उड़कर गया किधर,
    आओ देखे इधर - उधर ।
    जा पहुँचा पड़ोसी के घर,
    हाथ पकड़ कर लाओ इधर ।

    कुर्सी उड़के गई किधर,
    आओ देखे इधर - उधर ।
    जा पहुँची पड़ोसी के घर,
    टाँग पकड़ कर लाओ इधर ।

    नलका उड़कर गया किधर,
    आओ देखे इधर - उधर ।
    जा पहुँचा पड़ोसी के घर,
    मुंह पकड़ कर लाओ इधर ।

    चंदा मामा गए किधर,
    आओ देखे इधर - उधर ।
    जा पहुँचा पड़ोसी के घर,
    गाल पकड़ कर लाओ इधर ।

    बिल्ली मौसी गई किधर,
    आओ देखे इधर – उधर ।
    जा पहुंची पड़ोसी के घर,
    मूँछ पकड़ कर लाओ इधर ।

    नटखट बच्चा गया किधर,
    आओ देखे इधर - उधर ।
    जा पहुँचा पड़ोसी के घर,
    कान पकड़ कर लाओ इधर ।

     बालगीत : स्कूल का पहला दिन 

    मैं पहली कक्षा में आ गया,
    आज पहला दिन है।
    नई कमीज नहीं हाफ पेंट,
    यह कक्षा तो भिन्न है।

    मैं पढ़ूँगा और लिखूँगा,
    मैं बनूँगा होनहार।
    मैं खेलूँगा और कूदूँगा,
    मैं बनूँगा होशियार।

    मैं अध्यापक का कहना मानूँगा,
    और पाऊँगा उनका दुलार।
    अनुशासन में, मैं रहूँगा,
    तभी मैं कुछ सीख पाऊँगा।

    कक्षा में पढ़ते, हम चुप रहकर,
    मध्यांतर में रहते मिल-जुल कर।
    खेल के मैदान में, हम रम जाते
    कभी गेंद पकड़ते,कभी छोड़ आते।

    जब-जब निहारते, खिड़की से बाहर,
    तब-तब गदगद, हम हो जाते।
    सबसे अच्छी मुझको लगती,
    टन-टन-टन छुट्टी की घंटी।

    सबसे अच्छी मुझको लगती,
    टन-टन-टन छुट्टी की घंटी।
    सबसे अच्छी हमको लगती,
    टन-टन-टन छुट्टी की घंटी।

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