दो पंक्तियाँ

 .

1

न चलो यूँ बलखा के

हुस्न वालो कि 'नूरम' 

नाचीज़ भी रखते हैं

दिल अरमानों भरा ।

2

इश्क़ कौन चमन है 

हम से पूछो 'नूरम' 

दो काँटें क्या चुभे 

कहते हो दर्द हो उठा ।

3

दीवाना हूँ आपके हुस्न का

'भौरा' मत समझ मुझे 'नूरम'  

तलबगार हूँ आपके प्यार का 

आवारा मत समझ मुझे ।

4

मत दे इतने ज़ख्म 

ए-संगदिल 'नूरम'

ज़ख्म भी परेशां है 

कहाँ से उठे ।

5

जब हम खफा थे तब उन्हें 

खबर भी न थी 'नूरम' 

अब हमने हल पूछा है 

तो कहते हैं तुम बेवफा हो ।

6

खुदा बचाये इन हसीनों की 

आदाओं से 'नूरम' 

पागल बनाते हैं और 

लब पे अलफ़ाज़ भी नहीं ।

7

हम भी ग़ालिब होते 

इस दौर के 'नूरम' 

पर आपका दिया दर्द 

शायद कुछ कम था ।

8

कैसे भुला दें इन गमों को 'नूरम' 

यही तो यादें है आपकी जिनसे  

दिल को सजा रखा है हमने । 

9

आपकी मुस्कुराहट को 

इकरार समझें  

'नूरम' या फिर 

हँसना मेरी दीवानगी पर ।  

10

चलाये जा मोहब्बत 

यूँ ही संगदिल    

'नूरम' मेरे आँसू 

फिर भी ग़ज़ल कहेंगे ।

11

होती नहीं अब 

आँख भी नम 'नूरम' 

गम को भी मेरे 

किसकी नज़र लगी ।

12

वोह जो दाद दे रहें हैं 

मेरी शायरी पर 'नूरम' 

कोई उनसे कहें हम 

हाल-ए-दिल कह रहे हैं ।

13

होती नहीं पतझड़ में शाख हरी 

पर हम आपपे ए'तिबार कर बैठे 

हम तो आप के दीवाने हैं 'नूरम' 

बिन मौसम का प्यार कर बैठे ।

14

मुझे जलाने से पहले

मेरा दिल निकाल लेना

'नूरम' बड़े नाज़ुक है वों 

जो दिल में रहते हैं ।

15

तुम रूठ जाओ, तुम्हें हक़ है 

पर हम क्या करें 'नूरम'

हमने तो मोहब्बत की है ।

16

सम्भल के रहिये जो 

दिल तोडा है किसी का

'नूरम' टूटा शीशा भी 

खंजर हुआ करता है ।

17

कभी कभी दिखा करो झरोंखों से भी 'नूरम'  

कि कभी ईद वक़्त से पहले भी आना चाहिए ।

18

यूँ तो रोज़ों में, बंदिशें है कईं

पर 'नूरम' आप को देखना 

कोई गुनाह तो नहीं ।

19

कभी फुर्सत में मिलो किताबें-ए-गम सुनाएँगे 

'नूरम' चार मुलाकातों में कितने हर्फ़ बतला पाएंगे ।

20

हमने चाहा है तुम्हें 

चाँद सितारों से आगे

'नूरम' क्या मालूम था 

तुम भी दूर हो जाओगे । 

21

उनकी हर ख़ता माफ़ की 

हमने, समझ कर आख़िरी 

'नूरम' आज हमें अफ़सोस है

कि अब है साँस आख़िरी।

22

ना आप मिलते, 

न हम लर्ज़ाते 'नूरम' 

न खुश फेहमी होती 

न गलत फेहमी होती । 

23

जाँ भी देदें आपके एक इशारे पर 'नूरम' 

बशर्ते कफ़न में आँचल आपका नसीब हो ।

24

शुक्र है कि मिलते हैं अब 

हमसे नज़रें झुका के वो

'नूरम' नशे में झूमते देखा है 

नज़रें मिलाने वालों को ।

25

कैसे कैसे बनायें इंसाँ

तूने मुझे सताने के लिए 

'नूरम' सीना बचता हूँ तो 

पीठ कराह उठतीं है ।    

26 

आपकी मोहब्ब्त में 

मुकाम मिला कुछ ऐसा 

'नूरम' साहिल पे तो हैं

पर मछली की तरह ।  

27

 हम तो काबिल न थे, आपकी मोहब्बत के 'नूरम'  

उनका क्या हुआ? जिनसे आपको मोहब्बत थी ।

28

न मोत की आस है, न ज़िंदिगी की प्यास

'नूरम' यह कैसा साहिल है, जो तूफ़ाँ के पास है ।

29

वो इतना बरसे कहीं, की दिल भर गए 'नूरम' 

मेरे सहरा-ए-दिल पे, एक बूँद भी नहीं 

30

ज़रा देखो इन ग़मों को, परेशां करते है धड़कनों को 

नादाँ इतना भी नहीं जानते, 'नूरम' दिल में तुम रहते हो

31

मुझे तड़पा के चैन आता है जिन्हें

'नूरम' खुदा हुस्न लेकर दिल दे उन्हें

32

मेरी चाहत से तू है, तेरे हुस्न से मैं नहीं

मैं लिखूँ तो तू ग़ज़ल है, 'नूरम' वरना तू हर्फ़ नहीं

33

गैरों के लिए है तेरी, ज़ुल्फ़ों की कली घटा

'नूरम' न जाने यह बिजली, मेरे लिए क्यों छुपा रखी है

34

कैसे जी पाएँगे हम, आप से जुदा हो कर

'नूरम' आप जो धड़कते हैं, सीने में दिल बन कर  

35

वो जो पास नहीं हैं,पर दिल के हैं करीब

तबस्सुम जिनके लब पर हमारी ग़ज़ल सुनकर 

'नूरम' उनसे कहिये अब फासले हैं पलभर

36

हम उनकी खुशी का,

सामान हो गए 'नूरम' 

पर जब हमने पुकारा 

तो घर मकान हो गए

 37

न जाने इश्क़ में क्या राज होता है 'नूरम'  

मोहब्बत के सर पे हमेशा इलज़ाम होता है

हिचकियाँ और सिसकियाँ साज़ होता है

आप जगा के इंतज़ार आशिक़ खाक होता है

38

कुछ इस तरह मिला 

गम कतरा कतरा 'नूरम' 

कि कब दिल डूबा कब हम डूबे 

कुछ पता ही नहीं चला ।

39

खुदा बचाये इन हसीं तितलियों से  

जिनपर कलियाँ ऐतबार करती हैं 'नूरम'

रंग बहार, शोखियाँ मौज-ए-तबस्सुम 

ये लूट आ'माल-ए-चमन फरार होती हैं ।

40

क़लम-बंद-करने की ख़ातिर  

आपने हमें मिटा डाला 'नूरम'  

चलिए इसी बहाने आपने 

हमें लफ़्ज़ों में बदल डाला ।

41

तुम पास न थे, 

तो गम शुदा थे 

'नूरम' अब शादीशुदा हैं

तो क्या कम है ।

42

आप मेरा जुनू हैं पूरे कॉलेज को खबर है 'नूरम' 

बस हमें मालूम नहीं और आप बेखबर हैं ।

43

द्वार खड़ा मादक यौवन 'नूरम' 

फिर भी तुम में कितना बचपन ।

44

मुक्कदर ने छीन ली मोहब्बत मेरी, पर 

'नूरम' सजा दी आपने, दिल लगाने की ।

45    

आजाओ बैठो पास हमारे 

हम भी ग़म ग़लत करें 

कब तक पिलाओगे गैरों को 

'नूरम' कभी तो नज़र-ए-करम करें ।

46

वो आये महफ़िल में इस तरह रौशन-रौशन 

जल उठा दीवानों का दिल रौशन-रौशन । 

शमा-ए-महफ़िल क्या रखते उनके सामने 'नूरम'

लग रहा था जिनका चेहरा सबसे रौशन-रौशन ।

47

माना आपकी मोहब्बत के काबिल नहीं हैं हम

'नूरम' पर देखें हमें, हम मर रहें हैं ज़रा ज़रा सा ।

48

हमारी ज़िंदगी सफर नहीं 

एक सड़क बन गई है 'नूरम'

आप आते हैं ब्रेक लगते हैं 

अरमान जागते हैं, चले जाते हैं ।

49

जो हो दिलों में रंजिश तो ईद क्या करें

'नूरम' हो इश्क़ नाराज़ तो दीद क्या करें ।

50

कहाँ तक बचते हसीनों से

आखिर आँख लड़ ही गई

इज़हार किया मोहब्बत हुई

'नूरम' ज़माने की नज़र लग ही गई । 

51

हर शख्स मुनाफ़िक़ निकला मेरे दायरे में 

'नूरम' हमने दायरे बड़ा के भी देख लिया

और सुकून तब मिला, रूह को हमारी, जब 

उनकी यादों को भी निकल के देख लिया ।

52

वह शख्स अब मिलता नहीं

कहता था रहेंगे आँख बनकर  

पर न जाने क्यों अब हम 

संभल कर चलते भी नहीं ।


53


खुदा न दे हुस्न उन्हें, जो आशिकों की कदर न करें

 

'नूरम' जगाकर आरज़ू सीने में ओरों से बात करें ।

 

54

 

आपकी मोहब्बत में जफ़ा में का ज़िक्र लगता है

 

'नूरम' अब हमें बाज़ार भी घर सा लगता है ।

 

55

 

मत कहो बेवफा उन्हें 'नूरम' 

 

बस इक मुद्दत से रूठे हैं वो ।

 

56

 

आपके इंतज़र में पलकों को बिछा दूँ,

 

आप जो हाँ कहें तो सीने से लगा लूँ 

 

जन्नत जाने से पहले आपकी रजा लूँ 

 

'नूरम' जो न कहें तो खुद तो मिटा लूँ ।

 

57

 

आपकी सादगी में भी गुरूर है 'नूरम'


कह दो यह हमारी मोहब्बत का गुमान है ।


58


जा रख तेरी खुशबू, तेरे पास गुलाब 'नूरम'


मैं अपने काँटों को महकना सिखा रहा हूँ ।


59


मकबरे दिल के धड़कने पर 


अरमानों का कफ़न चीर कर ,


जब बेवफाई मुस्कुराती है 'नूरम'


हमें सिर्फ आपकी याद आती है ।


60


दिल को शीशे में उतार कर


बेरुखी का ढक्कन लगा लिया ,


'नूरम' आपने न अपना बनाया

 

न किसी ओर का होने दिया । 


61


न आये कल शाम जो 


चलो माफ़ किया 'नूरम' ,


जनाज़े पे ज़रूर आना


वरना दिल रुकेगा नहीं । 


62


कभी उनको कभी वक़्त को


हमारी कदर न हुई 'नूरम' ,


हम जिये कुछ इस तरह 


कि ज़माने को खबर न हुई ।


63


आपसे दिल लगाके 


हमें क्या मिला? 'नूरम' ,


न हम जी सके पूरा


और न पूरा मर सके ।


64


न मांगी थी मोहब्बत हमने


न माँगा था आपसे प्यार 'नूरम'


बस इतनी थी हसरत हमारी 


कि देखें आप को एक बार ।


65


संभल के इन हसीनों से


यह खूबसूरत बलाऐं हैं ,


प्यार से डसती हैं 'नूरम'


इनकी अलग निगाहें हैं ।


66


हमने नया नाम दिया- दीवाना


हमने नयी पहचान दी- परवाना 


गम चबाने का सिखाया सलीका 


जाम पीने का दिया सकीना 'नूरम'


कहा कैसे आपने- खुदगर्ज़ हसीना  


अस्तग़फ़िरुल्लाह वो नाज़नीना ।


67


सुबह से शाम तक इंतज़ार करूँ


शाम से सुबह तक याद करूँ,


रस्म-ए-मोहब्बत है अभी बाकी


'नूरम' कैसे आपका दीदार करूँ ।


68


आपसे जो रिश्ता है 'नूरम' 


इसका कोई बाणी नहीं 


इबादत कहें या अक़ीदत 


69


आपसे जो दर्द मिला लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं होता, आँखों से होता है,


कोई जो मेरे गीतों के मायने पूछता है तो 'नूरम' क्या बताते हो?


70


मेरे मेहबूब तेरा तड़पना नहीं बनता


बार बार परवाने का मरना नहीं बनता


कुछ तो हया होगी कायनात में 'नूरम'


मोहब्बत का नाकाम होना नहीं बनता 


71


हमें इश्क़ सिखा के खुद भूल गए 'नूरम'


ऐसे तो मुर्शिद के नुमायाँ नहीं होते  


72


इरादे तो नेक है, पर ख्याल अनेक हैं


आप से मोहब्बत का सोचा नहीं अभी


'नूरम' किस को दें दिल, दिल तो एक है  


73


घर-बाहर, सुबह से शाम तक 


आप का ही तस्सवुर है हमें,


यकीन न हो 'नूरम' कॉलेज की 


हाज़िरी बही निकल के देख लें 


74


कुछ इस तरह कटती है शामें अब 'नूरम'


लगता है बे-सबब सुबह हो जाती है ।  


75


सुना है आईना भी आपके दीदार को तरसता है


'नूरम' हम बे-वजह, हसरत-ए-दीदार को बैठे हैं ।


76


दस्तान-ए- इश्क़ एक ऐसा फ़साना है 

जिसे बताना भी है और छुपाना भी 'नूरम'

ये वह फन है जिसके, मेज़बान सब है 

क़दरदाऩ कईं और मेहरबान कोई नहीं 


77


सुना है मोहब्बत आग का दरिया है

हम तो जल गए, हिज्र की आग में 

'नूरम' और आप तैर के निकल गए !


78


कहते हो  मोहब्बत गुनाह नहीं

'नूरम' तो आप करते क्यों नहीं?


79


लैला ने कैस से सिर्फ एक बार कहा 

और वो मजनू हो गया, नूरम यहाँ 

उम्र बीत गई आप को समझने में 


80


इश्क़ हद से गुज़र जाये तो नसीब बनते हैं 

गम हद से गुज़र जाये तो 'नूरम' बनते है


81


किसी गीत से लगते हैं आप हमें 

'नूरम' बस हम गुनगुना नहीं सकते 


82


आप किस्मत में ना सही ख्वाबों में तो हैं, 

हमने तो आपका दिल चुरा लिया है 'नूरम' 

आप भी तसव्वुर में हमें सज़ा दे सकते हैं 


83


कुछ तो हुआ है, कुछ ठीक नहीं लगता 

घर पे अब हमारा दिल नहीं लगता 

कॉलेज से आने का, मन नहीं करता 

'नूरम' हमें इश्क़ हुआ, आपको नहीं लगता 


84


काली तेरी गुत, हुलारे मारदा कला परांदा

काला सूट ते आँखें उत्ते काला तिल नीं 

चान्न वर्गा मुँह तेरा 'नूरम' उतों काली रात नीं 


85


सरेआम कर दिया मोहब्बत को

कोई इल्ज़ाम तो दिया होता

लिहाज़ किया होता ज़माने का 

रस्मन आदाब ही कहा होता 


86


हम खुद को बहलाते हैं, खुद के सुकून के लिए

हर बार वापस आते हैं, आपने प्यार के लिए  

मोहब्बत असर या अम्ल नहीं है, 'नूरम', कैसे बताये

हर सुबह आज़ाद करते हैं, आपको अपने जमाल से 


87


सफर-ए-शायरी ऐसा चला 

साज़ भी मिला, सोज़ भी  

यार भी मिला, प्यार भी 'नूरम'  

बेकरार भी हुए, बेरोज़गार भी 


88


साँभ के रखा है

प्यार, आप के लिए, 

जब मिलोगे देदेंगे

'नूरम' वरना अगले 

जन्म के लिए रख लेंगे 


89


आपको याद करने वाले तो बहुत हैं  

हम तो यादों में रोने वालों में से हैं 

मोहब्ब्त का सबूत मांगते हो 'नूरम' 

हम तो आपके चाहने वालों में से हैं 


90


कुछ दिनों की मोहब्बत 

कुछ दिनों में भूलती नहीं,

ज़माने लगते हैं 'नूरम'

फिर अक्स ढूँढ़ने में 


91


निसबत-ए-खास है कोई मुजस्समें से    

वरना कौन यूँ रोता है इस ज़माने में?

कब्र में भी सुकून से रहने न दिया 'नूरम' 

रो-रो के क्या हाल कर लिया दीवाने ने 


92


दिललगी नहीं मोहबब्त सच्ची है, आपको महबूब जान लिया 

'नूरम' हम भी इश्क़ कर के देखेंगे, अब हमने भी ठान लिया    


93


आपका दीदार साफ़ था, हमने करवट बदल के देख लिया

'नूरम' आप चाँद से लगे ख्वाब में, हमने चुपके से चूम लिया 


94


आप रूह को पसन्द हो, आपसे मोहब्बत का पूछ लिया 

'नूरम' कैसे यकीन दिलाएँ, आपने यूँही हमें ठुकरा दिया  


95


आपका झिड़कना माफ़ है, अब हमने खुद को समझा लिया

'नूरम' ज़माना हँसता रहा है दीवानों पर, बुरा मनाना छोड़ दिया  


96


बे-फ़िक्री से निकला करो अब आप, हमारी परवाह न किया करो 

'नूरम' हमने मस्नूई* अदब के उस शहर में, अब जाना छोड़ दिया 

*artificial, fabricated, counterfeit, false 


97


आज कल, यहाँ नहीं, अभी नहीं  

से आगे का सफर करना है l   

मोहब्बत की हद क्या है, कैसी है

'नूरम' वोह विज्दान* करना है 

*ecstatic condition, euphoria


98


मुफ़लिसी के दिनों में भी 

मायूसी के दिए न जलेंगे।

'नूरम' यह जशन-ए-दिवाली

आपके खत जलाकर मायेंगे । 


99 


मोहब्बत की कसम, पूरी कर न सके  

किनारे करके आपको, हम जी न सके ।

कुछ तो ज़रूर होगी मजबूरी, आपकी भी 

'नूरम' आप भी प्यार हमसे कर न सके ।


100


मोहब्बत का भी मिज़ाज़, खास होता है 'नूरम'  

हम मरते है जिन पे, उनको हमेशा ऐतराज़ होता है ।


101


किसी शिहाब* सा गिरा एक ही सवाल हमारा  

जितना याद करतें हैं आप भी करते हो क्या?

सिफ़ारती** जवाब आपका खुद से पूछ कर देखलो 

आप के आपे में हैं 'नूरम' जानते हो जवाब हमारा 

 *falling star, a meteor, comet

**diplomatic


102


हसीनों की ज़ात, आराइश* खाली,वादे खाली; 

आशिकों की ज़ात, बोतलें खाली, जनाज़े खाली; 

मोहब्बत एहसास, दिल खाली, ज़ेहन खाली; 

गुमशुदा एहसास, रस्में खाली, बातें खाली;   

बेदर्द एहसास, जेब खाली, 'नूरम' खाली 

*cosmetic


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